भोपाल: हमीदिया अस्पताल में मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के प्रयासों के बीच, शहर में नाम बदलने की राजनीति एक बार फिर जोर पकड़ रही है। भोपाल के पूर्व नवाब अली अब्दुल्ला खान को लेकर विवाद फिर से उठ खड़ा हुआ है, जिसके कारण उनके नाम पर स्थापित संपत्तियों, सड़कों, चौराहों और अन्य स्थलों के नाम बदलने की कवायद शुरू हो गई है।

सबसे पहले, भोपाल नगर निगम में हमीदिया रोड का नाम बदलकर गुरु नानक रोड करने का प्रस्ताव रखा गया है। नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष ने सरकार से हमीदिया अस्पताल, हमीदिया कॉलेज, और यहां तक कि हमीदिया स्कूल का नाम भी बदलकर किसी भारतीय वीर सेनानी के नाम पर रखने की मांग की है।
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भोपाल में नाम परिवर्तन की राजनीति कोई नई बात नहीं है, लेकिन मोहन यादव सरकार के कार्यकाल में मुगल या अन्य विदेशी शासकों से संबंधित स्थानों और बैरकों के नाम बदलने की मुहिम तेज हो गई है। इस अभियान के समर्थकों का तर्क है कि ये नाम गुलामी के प्रतीक हैं और इनमें से किसी ने भी भारत के लिए कोई विशेष योगदान नहीं दिया है।

नवाब अली अब्दुल्ला खान के बारे में कहा जा रहा है कि वह जिंदा पीर के अनुयायी थे और कथित तौर पर चाहते थे कि भोपाल रियासत का विलय पाकिस्तान में हो जाए। इस कारण, उन्हें "गुलामी का प्रतीक" मानते हुए उनके नाम से जुड़ी जगहों के नाम बदलने की मांग उठ रही है।

आने वाले दिनों में यह मुहिम और तेज होने की संभावना है, जिससे भोपाल में नाम बदलने की सियासत और भी गरमा सकती है। इस पूरे घटनाक्रम पर शहर के नागरिकों की निगाहें टिकी हुई हैं।